लघुकथा-10
संस्कार आ अविस्कार
भारतवाला– तोहरा इहाँ क लइका-लइकी बहुत बिगड़ल बाड़न।
चुम्मा-चाटी में तनिको संकोच ना करेलनसS। हमनीSक
महान सभ्यता से कुछ सीSखजा। हमनीSक
संस्कार में केहु ओरि आँख उठाके देखलो गुनाह हS।
अङरेज- तोहरा केहें त लइकी के इसमाइल करावे खातिर लइका
सबेरे से साँझ तक आगे-पीछे घूमत रहेलनजा आ आपन जवानी बरबाद करेलनजा, आ
अंतिम में लुका-लुका के उहे कुल करेलनजा जवन हमनीSक करेनीSजा। एहसे बढ़िया त हमनिए क न संस्क्रिति बा, कि इ कुल
फालतू क देखावा आ बनावटी परदा क चक्कर में समय बरबाद कइला क बजाय सब हरमेसिक
नया-नया बात सोचत रहेला।
दूनों में एही बात पर धीरे-धीरे झगरा बढ़ जाता। तवले ओनिए
से एगो आफिसर आइल त देSखके कहलस की अच्छा दूनों जाना आपन-आपन संस्क्रिति के महान साबित करेSकS एकSएगो उदाहरन दS जा।
भारतवाला- संस्कार, संस्कार खाली (खोखड़) संस्कार।
अङरेज- सुई से लेके अंतरिछयान तक क अविस्कार।
संस्कार और अविस्कार
भारतीय- तुम्हारे यहाँ के लड़के-लड़कियाँ बहुत बिगड़े हुए
हैं। चूमने-चाटने में थोड़ा-सा भी संकोच नहीं करते हैं। हमारी महान सभ्यता से कुछ
सीखो। हमारे संस्कारों में किसी की ओर आँख उठाकर देखना भी गुनाह है।
अंग्रेज- तुम्हारे यहाँ तो लड़की को स्माइल कराने के लिए
लड़के सुबह से शाम तक आगे-पीछे घूमते रहते हैं और अपनी जवानी बरबाद करते हैं, और
अंत में लुक-छिपकर वही सब करते हैं जो हम लोग करते हैं। इससे अच्छी तो हमारी ही
संस्कृति है, कि इन सब फालतू के दिखावों और बनावटी परदे के
चक्कर में समय बर्बाद करने के बजाए नई-नई बातें सोचते रहते हैं।
दोनों में इसी बात पर धीरे-धीरे झगड़ा बढ़ जाता है। तभी उधर
से ही एक ऑफिसर आता है तो देखकर बोला कि अच्छा दोनों लोग अपनी-अपनी संस्कृति को
महान साबित करने के एक-एक उदाहरण दो।
भारतीय- संस्कार, संस्कार और खोखले
संस्कार।
अंग्रेज- सुई से लेकर अंतरिक्षयान तक के अविष्कार।