लघुकथा-6
अविस्कार क संकट
छात्र- गुरु जी, आप एतना जीतोड़ मेहनत क बाद रोबोटे
के ब्रेन डिजाइन क नियम खोज लेले बानी, त ओकराके लोगन क सामने
लियावत काहें नइखीं?
गुरुजी-बेटा, हम ई सोचत बानी कि कहीं इ हमनीके
सभ्यता खातिर आत्मघाती न साबित हो जावS। पहिलहीं से संसार का
संपत्ति क कुल्ह पूँजी 05% मनइन केहें बाटे। बकिया 95% मनई त एहसे जियत बा कि ऊ 05%
मनइन के ओह सभ क जरूरत बा। जवदि ए जरूरत के मसीने (रोबोट) पूरा करे लागी त फिर ई 95%
मनई त बिना मउअत के मर जईहें, एहसेकि मसीने के आपन साथी बनाके
उ 05% मनई ई सबके लात मार दीSहें।
अविष्कार का संकट
छात्र- सर, आपने इतनी कड़ी मेहनत के बाद रोबोटिक
ब्रेन डिजाइनिंग का सिद्धांत का खोज लिया है तो उसे लोगों के सामने क्यों नहीं ला रहे
हैं?
प्राध्यापक : बेटे, मैं यह सोच रहा हूँ कि कहीं यह
हमारी सभ्यता के लिए आत्मघाती साबित न हो। पहले से ही विश्व संपदा की कुल पूँजी 05%
लोगों के पास है। शेष 95% लोग तो इसलिए जी रहे हैं कि उन 05% लोगों को उनकी जरूरत है।
यदि इस जरूरत को मशीन (रोबोट) ही पूरा करने लगेगी तो फिर ये 95% लोग बेमौत मारे जाएँगे, क्योंकि मशीनों को अपना साथी बनाकर वे 05% लोग तुरंत इन सबको लात मार देंगे।
Mama aa gayaa*
ReplyDeleteधन्यवाद। majaa
ReplyDelete