Thursday, January 4, 2018

प्रोफेसर और प्रधान सेवक

एक प्रोफेसर ने प्रोफेसरी झाड़ते हुए प्रधानसेवक से कहा-महोदय, आप शिक्षा के बजट में कटौती करके पढ़ाई का स्तर गिरा रहे हैं।
प्रधानसेवक ने सुंदर सा जवाब दिया- अरे मूर्ख प्रोफेसर, जब एक अनपढ़ प्रधानसेवक अनपढ़ों की सेना लेकर सवा सौ करोड़ देशवासियों को पढ़ा सकता है तो तू झूठमूठ का इतना खर्चा क्यों कराना चाहता है। घर जा और मन की बात सुन।
तू मत भूल कि मैंने कहा था कि यह किसानों की सरकार है तो उन्हें पिसाब पीना पड़ा। मैंने यह कभी नहीं कहा कि यह सरकार शिक्षकों की (शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध) सरकार है। अब सोच कि तेरा क्या होगा???
प्रोफेसर : (लगभग गिड़गिड़ाने की मुद्रा में) अरे साहब, कम से कम 7th pay ही दे देते।
प्रधानसेवक : अरे मूर्ख, तू दिन गिन, कि तेरी यही salery कितने दिन मिलती है। अगर मैं 2024 में जीत गया तो तुम सब भूखों मरोगे।
प्रोफेसर: तो आप क्या करेंगे?
प्रधानसेवक : सब private करूँगा।
प्रोफेसर : तो सीधे-सीधे कहिए कि देश को प्राइवेट कंपनियों को बेंच देंगे।
प्रधानसेवक: अब तू देशद्रोह कर रहा है। तू भूल रहा है कि इसी भाषा पर up में एक शिक्षक suspend हुआ है।
प्रोफेसर : मैं तोआपकी नीतियों की आलोचना कर रहा हूँ।
प्रधानसेवक : मैं ही देश हूँ। देश मुझसे शुरू होकर मेरे भक्तों पर खत्म हो जाता है।